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________________ SERISTISTS जीव विचार प्रश्नोत्तरी NTSETTE आदि शक्तियाँ समायी हुई हैं, उसे जीव कहते है। 15) समस्त जीवों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ? उ. समस्त जीवों के दो भेद हैं- 1) संसारी जीव 2) मुक्त जीव / 6) संसारी जीव किसे कहते हैं ? उ. वे जीव, जो कषाय और राग-द्वेष से युक्त हैं और उसके परिणाम स्वरूप बार-बार - जन्म-मरण को प्राप्त होते हैं और घोर दुःख पाते हैं, वे संसारी जीव कहलाते हैं। /17) मुक्त जीव किसे कहते है ? उ. वे जीव, जिनका राग-द्वेष समाप्त हो चुका हैं / कर्मबंधन और जन्म-मरण के चक्रव्यूह __ से मुक्त होकर सिद्धशिला पर बिराजमान हो चुके हैं, वे मुक्त जीव कहलाते हैं। 8) संसारी जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. संसारी जीवों के प्रमुख दो भेद हैं - 1) स्थावर जीव 2) त्रस जीव। .. 19) स्थावर जीव किसे कहते हैं ? .. उ. वे जीव, जो सुख-दुःख एवं अनुकूल-प्रतिकूल संयोगों में इच्छानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जा सकते हैं, वे स्थावर जीव कहलाते हैं। 20) स्थावर जीवों के कितने भेद होते है ? उ. स्थावर जीवों के पांच भेद होते हैं - 1) पृथ्वीकाय 2) अप्काय 3) तेउकाय 4) वायुकाय 5) वनस्पतिकाय / 21) स्थावर जीवों का अपर नाम क्या है ? उ. एकेन्द्रिय। 22) पृथ्वीकायादि पंचक की व्याख्या स्पष्ट करो? उ. 1) जिस जीव की काया पृथ्वी रूप हो, वह पृथ्वीकायिक जीव कहलाता है। 2) जिस जीव की काया जल रूप हो, वह अप्कायिक जीव कहलाता है। 3) जिस जीव की काया अग्नि रूप हो, वह तेउकायिक जीव कहलाता है। 4) जिस जीव की काया वायु रूप हो, वह वायुकायिक जीव कहलाता है। 5) जिस जीव की काया वनस्पति रूप हो, वह वनस्पतिकायिक जीव कहलाता है।
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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