________________ - - 9 जीव विचार प्रकरण ARARHI __ शब्दार्थ सव्वे - समस्त | सुहुमा - सूक्ष्म (जीव) साहारणा - साधारण (वनस्पतिकाय) | य - और समुच्छिमा - संमूर्छिम मणुस्सा - मनुष्य की .. य - और उक्कोस - उत्कृष्ट से जहन्नेणं -जघन्य से अंतमुहत्तं - अन्तर्मुहूर्त चिय - निश्चय ही जियंति - जीते हैं। भावार्थ समस्त सूक्ष्म जीव, साधारण वनस्पतिकायिक जीव एवं संमूर्छिम मनुष्य निश्चित् रूप से उत्कृष्ट एवं जघन्य से अन्तर्मुहूर्त जीते हैं। विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में सूक्ष्म, साधारण जीवों एवं संमूर्छिम मनुष्यों के आयुष्य का वर्णन है। " सूक्ष्म पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय, सूक्ष्म एवं बादर साधारण वनस्पतिकाय के जीवों की, संमूर्छिम मनुष्यों की जघन्य एवं उत्कृष्ट आयु अन्तर्मुहूर्त की होती है / - आयुष्य एवं अवगाहना द्वार का उपसंहार गाथा ओगाहणाउ-माणं, एवं संखेवओ समक्खायं / जे पुण इत्थ विसेसा, विसेस-सुत्ताउ ते नेया // 39 // अन्वय एवं ओगाहणाउ-माणं संखेवओ पुण इत्थ जे विसेसा ते विसेस सुत्ताउ नेया // 39 // संस्कृत छाया अवगाहना-आयुर्मानेवं संक्षेपतः समाख्यातम् / ये पुनरत्र विशेषा विशेषसूत्रेभ्यस्ते ज्ञेयाः // 39 //