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________________ 989 जीव विचार प्रकरण AAHEE S HESARIES १पल्योपम= असंख्य वर्षANTA चित्र : पस्योपम की गणना विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में चारों गति के पंचेन्द्रिय जीवों के उत्कृष्ट आयुष्य का विवेचन है / पल्योपम - एक योजन लम्बे, एक योजन चौडे और एक योजन गहरे कुएँ में युगलिक मनुष्य के सात दिन के बच्चे के एक बाल के सात टुकडे और उस प्रत्येक टुकडे के आठआठ टुकडे किये हुए बालों से वह कुआँ इस प्रकार भरा जाए कि अग्नि उसे जला नहीं सके, पानी बहा न सके, वायु उडा न सके / यहाँ तक कि चक्रवर्ती की विशाल सेना उसके उपर से गुजरे तो भी वे दबे नहीं / एक वर्ष गुजरने पर एक टुकडा बाहर निकाले / इस प्रकार जितने समय में वह कुआँ खाली हो, उसको अद्धा पल्योपम कहते है। एक पल्योपम असंख्यात वर्षों का होता है। दस कोडाकोडी पल्योपम का एक सागरोपम होता है / कोडाकोडी किसे कहते है ? करोड को करोड से गुणा करने पर जो प्रतिफल प्राप्त होता है, वह कोडाकोडी कहलाता है। * देवों का उत्कृष्ट आयुष्य तैतीस सागरोपम का होता है, यह आयुष्य अनुत्तर वैमानिक सर्वार्थसिद्ध विमान के देवों का होता है / * नारकी की उत्कृष्ट आयु तैतीस सागरोपम की होती है / यह सातवीं नरक के नारकी जीवों के होती है। * मनुष्य का उत्कृष्ट आयुष्य तीन पल्योपम का होता है / भरत एवं ऐरावत क्षेत्र के उत्सर्पिणी काल के छट्टे आरे में तथा अवसर्पिणी काल के प्रथम आरे में मनुष्यों का आयुष्य तीन पल्योपम का होता है / अकर्मभूमि के तीस भेदों में से पांच उत्तरकुरु और
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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