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________________ PRESENSE जीव विचार प्रकरण AIRTEETHER समस्त एकेन्द्रिय जीवों की जघन्य आयु अन्तर्मुहूर्त की होती है / विकलेन्द्रिय जीवों का उत्कृष्ट आयुष्य - गाथा वासाणि बारसाऊ, बेइन्दियाणं तेइन्दियाणं तु / अउणापन्न - दिणाईं चउरिदीणं तु छम्मासा // 35 // अन्वय बेइन्दियाणं तेइन्दियाणं तु चउरिंदीणं आऊ बारस वासाणि अउणापन्न दिणाईं तु छम्मासा // 35 // संस्कृत छाया वर्षाणि द्वादशायुद्वीन्द्रियाणांत्रींदियाणां तु। एकोपंचाशद्दिनानि चतुरिन्द्रियाणां तु षण्मासाः // 35 / / एकापचार शब्दार्थ वासाणि - वर्ष बारस - बारह आऊ - आयु बेइन्दियाणं - द्वीन्द्रिय की तेइन्दियाणं - त्रीन्द्रिय की तु - और अउणापन्न - उनपचास दिणाईं - दिन चउरिंदीणं - चतुरिन्द्रिय की तु - और छम्मासा - छह मास भावार्थ द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जाति के जीवों की आयुक्रमशः बारह वर्ष, उनपचास दिन और छह मास की होती है // 35 // विशेष विवेचन इस गाथा में विकलेन्द्रिय जीवों के उत्कृष्ट आयुष्य का कथन है• द्वीन्द्रिय जीवों की उत्कृष्ट आयु - बारह वर्ष /
SR No.004274
Book TitleJeev Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManitprabhsagar
PublisherManitprabhsagar
Publication Year2006
Total Pages310
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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