________________ शिखरों का विशेषार्थ पर्वत शिखर कुल मूल विस्तार | उपर विस्तार| शिखर किसके तथा ऊंचाई बने है ? 16 वक्षस्कार | 4 500 यो. 250 यो. रत्नमय 1 सौमनस 1 गंधमादन |7 1 रुक्मि 8 1 महाहिमवंत 8 34 वैताढय | 9 306 (सवा 6) यो. 3 यो. से | (6) रत्नमय अधिक (3) सुवर्णमय 1 विद्युतप्रभ | 9 | 9 (8) 500 यो. 250 यो. रत्नमय (1) 1000 यो. 500 1 माल्यवंत | 9 / 9 (8) 500 यो. 250 यो. | (1) 1000 यो. 500 1 निषध 9 | 9| 500 यो. 250 यो. 1 नीलवंत | 500 "| 250" | (8) 500 यो. 250 (1) 1000 यो. 500 1 लघु हिम. | 11 | 11/ 500 यो. 250 यो. 1 शिखरी | 11 | 11 || 61 पर्वत 5555 1 मेरु 467 1. विद्युत्प्रभ, माल्यवंत और मेरु पर्वत, इन तीनों पर्वत के नव-नव शिखरों में एक शिखर सहस्रांककूट कहा जाता है। अर्थात् वे शिखर 1000 यो. ऊंचे है उन शिखरों के नाम अनुक्रम से हरिकूट, हरिसहकूट और मेरु के ऊपर नंदनवन में | लघु संग्रहणी सार्थ (154) शिखटों का विशेषार्थ