________________ दिशाओं का स्पष्टीकरण जब हम मेरूपर्वत की ओर मुंह करके खडे रहते है तब दाहिने हाथ की तरफ विजयद्वार आता है इसलिए उस ओर की दिशा पूर्वदिशा है। और बायें हाथ की ओर वैजयन्त द्वार है इसलिए उस तरफ की दिशा पश्चिम है। हमारी पीछे अपराजित द्वार आता है। उस तरफ की दिशा दक्षिण है। और हमारे सामने, मेरूपर्वत के दूसरी तरफ ऐरावत क्षेत्र के पास जयन्तद्वार है, उस तरफ की दिशा उत्तर है। दिशाओं के व्यवहार के लिए शास्त्रों में अनेक प्रकार कहे हैं, परन्तु यहां पर ऊपर कहें अनुसार दिशा व्यवहार समझना / दूसरे क्षेत्रों में भी इस नियम के अनुसार दिशा व्यवहार कर सकतें है। यह व्यवहार लोक प्रसिद्ध सूर्य-दिशा से मिलता है। . मुख्य दश पदार्थ गाथा: खंडाजोयण वासा, पव्वय, कूडायतित्थसेढीओ; . विजयद्दहसलिलाओपिंडेसिंहोइसंघयणी||२|| संस्कृत अनुवाद : खण्डानियोजनवर्षाणि, पर्वतकूटाश्च तीर्थ श्रेणयः विजयहृदसलिला:पिण्डएतेषांभवतिसंग्रहणी||२|| * फूटनोट :मेरुपर्वत की ओर जो दिशा वह उत्तर दिशा और उसके सामने की जो दिशा-वह दक्षिण / इस व्याख्या से दिशाएं फिरती रहेगी क्योंकि मेरुपर्वत जंबूद्वीप के मध्य में आया है लेकिन यह व्यवहार यहां नहीं लेना। लघु संग्रहणी सार्थ (127) मुख्य दरा पदार्थ