________________ के भवनों में चला गया / अपने भवनों में पानी भर जाने से नागकुमार देवता क्रोधायमान हो गए / क्रोधित हुए नागकुमारों ने उन सभी पुत्रों को भस्मीभूत कर दिया / 60 हजार पुत्रों के एक साथ मरण का समाचार सुनकर सगरचक्री अत्याधिक दुःखी हो गए / इन्द्र महाराजा उसे दुःख मुक्त करने के लिए श्री अजितनाथ प्रभु के पास ले गए / प्रभु ने वैराग्यमय धर्मदेशना दी, संसार की असारता को समझाया तथा शत्रुञ्जय महातीर्थ की महिमा को बताकर तीर्थ के उद्धार की प्रेरणा दी / भरत महाराजा के समान ही सगर चक्रवर्ती ने शत्रुञ्जय तीर्थ का महासंघ निकाला / क्रमशः आगे बढ़ते हुए जैसे ही शत्रुञ्जय तीर्थ पर पहुँचे तब वहाँ जाकर चौदह नदियों के निर्मल जल से आदिनाथ प्रभु का अभिषेक किया / __ वहाँ पर इन्द्र महाराजा ने चक्रवर्ती को कहा- हे नरेश्वर ! दुःषमकाल के प्रभाव से प्रभु की मणिमय प्रतिमाओं की सुरक्षा शक्य नहीं है / अतः उनकी सुरक्षा का प्रयत्न कीजिये / इन्द्र की सूचना ध्यान में रखते हुए सगर चक्रवर्ती ने तुरन्त ही मणिरत्नों की सभी प्रतिमाओं को देवता अधिष्ठित गुफा में स्थापित कर दिया / तीर्थ पर उन प्रतिमाओं के स्थान पर स्वर्ण की प्रतिमाएँ तथा चाँदी के मन्दिरों का निर्माण करवाया / गुफा में रखी हुई मणिमय प्रतिमाओं के पूजन के लिए देवलोक से देवता जाते थे / इसी विषय को पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्यश्री विजय वल्लभसूरिजी म. ने एक स्तवन में लिखा है चक्री सगर सुर दिल में धारी, दुःषम काल में भावी विचारी / बिंब गुफा में जा पधारा - जा पधारा - सिद्धगिरि सानी न मिला / / देवी-देव मिल पूजन को आते, ठाठ बना सही गुण गाते, 78