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________________ शत्रुञ्जय गिरिराज तो महान् पवित्र भूमि है | इस तीर्थ की आशातना करने से आत्मा को भयंकर विपाक भोगने पड़ते हैं / अतः इस गिरिराज पर किसी भी प्रकार की कुप्रवृत्ति नहीं करनी चाहिए / गिरिराज पवित्र भूमि है, यहाँ पर मल-मूत्र नहीं करना चाहिए / शत्रुञ्जय पर्वत की यात्रा नंगे पाँव करनी चाहिए / तीर्थयात्रा आत्मकल्याण के लिए है अतः यात्रा दरम्यान कन्दमूल का त्याग, अभक्ष्य, बासी वस्तुओं का त्याग, रात्रि भोजन का त्याग करना चाहिए / शराब, सिगरेट, बीड़ी, पानमसाला, तम्बाकू आदि नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए / . मन की पवित्रता बनाए रखने के लिए सिनेमा, टी.वी., विडियो, रेडियो, ताशपत्ते, जुगार आदि का सर्वथा त्याग करना चाहिए / गिरिराज की यात्रा करते समय अश्लील फिल्मी गीतों को नहीं सुनना चाहिए / गिरिराज की यात्रा नीची दृष्टि रखकर जयणापूर्वक, जीवदया का पालन करते हुए करनी चाहिए / गिरिराज की यात्रा हेतु हजारों लोग आते हैं किसी के मन के परिणाम हमारे निमित्त से बिगड़े इसका ध्यान रखते हुए विभत्स वस्त्र, उद्भट वेश नहीं पहनना चाहिए / तीर्थ स्थान में कषाय से दूर रहना चाहिए, कठोर वचन नहीं बोलने चाहिए, किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा, गाली-गलोच नहीं करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए / - तीर्थ स्थानों की महत्ता को तथा धर्म को नहीं समझने वाले, आशातनाओं को नहीं जानने वाले, सद्गुरुओं के संग से दूर भागने वाले आज के युवकयुवती वर्ग तीर्थधामों में आकर जुआ, शराब आदि से लेकर विषय सेवन तक के 69
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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