________________ सहारे पहाड़ पर चढ़ने लगा | वहाँ के प्राकृतिक वातावरण को देखकर सोचने लगा कि ओह ! कितने सघन और बड़े-बड़े वृक्ष हैं / पहाड़ों से गिर रहे झरने, स्वच्छ पानी के यह नाले, कितने सुहावने लग रहे हैं / जैसे ही राजकुमार और ऊपर चढ़े कि विकट भयावना मार्ग आ गया / पहाड़ की सीधी चढ़ाई चालू हो गई | दोनों तरफ गहरी खाई दिखाई देने लगी / कुमार ने भयभीत मन से विचार किया कि यदि यहाँ पर सावधानी न रही तो खाई में गिरकर चकनाचूर हो जाऊँगा, अतः धीरे-धीरे घोड़े को चलाता हुआ आगे बढ़ने लगा / तभी उसे गर्जना करते हुए शेर की दहाड़ सुनाई दी / घोड़ा चढ़ता-चढ़ता रुक गया / सामने चोटी पर खड़ा केसरी सिंह उन्हें घूर रहा था / कुमार ने परमात्मा को याद किया / हे भगवान ! सामने शेर खड़ा है, पीछे गहरी खाई है, अब तो न मालूम क्या होगा | हे प्रभु ! अब तो एकमात्र आपके नाम का आधार है। अपने स्वामी को बचाने के लिए घोड़ा मुड़ने के लिए पीछे की तरफ हटा कि उसका पैर फिसल गया और वह पाताल जैसी गहरी खाई में जा गिरा | गिरते-गिरते युवराज के मुंह से ध्वनि निकली, 'नमामि पार्श्व' हे पार्श्वनाथ प्रभु मुझे आपका शरण हो / - खाई में गिरते ही घोड़े के प्राण पखेरू उड़ गए / युवराज भी उछलकर दूर खाई में जा गिरा / गिरते-गिरते भी वह जीवन की अन्तिम श्वास तक पार्श्व प्रभु का स्मरण तथा ध्यान करता रहा / - इधर तलहटी में नीचे खड़े राज सेवकों ने एक दूसरे को कहा कि संध्या का समय होने लगा है अभी तक हमारे युवराज लौटकर न मालूम क्यों नहीं आए / सभी यात्री तथा सम्बन्धी चिन्तातुर हो गए / प्रातःकाल आठ दस राजसेवक राजकुमार की खोज के लिए पहाड़ की ओर चल पड़े | सभी घोड़े के पैरों के निशान देखते-देखते पहाड़ पर धीरे- धीरे चढ़ने लगे / चलते-चलते खोजी दल एक स्थान पर जाकर रुक गया / यहाँ तक घोड़े के पाँवों के निशान हैं, इससे आगे नहीं है / इससे अनुमान लगता है कि घोड़ा यहीं पर ही कहीं 51