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________________ भी तीसरे दिन आती है / आयुष्य कर्म बान्धने की शक्यता है तिथि के दिन / अतः तिथि के दिन कपड़े नहीं धोना, हरी सब्जी-फल आदि नहीं खाना / आरम्भ-समारम्भ के कार्य नहीं करना / तिथि के दिनों में धर्मध्यान में विशेष लीन बनना चाहिए / प्रश्न- 123. क्या आयु टूट भी सकती है ? उत्तर- हाँ ! आयु दो प्रकार की होती है / 1. अपवर्तनीय- जो आयुष्य कर्म, शस्त्र-आपघात बाह्य रागादि आभ्यन्तर निमित्तों से टूट जाए उसे अपवर्तनीय आयुष्य कहते हैं / वह सोपक्रमी होती है / सोपक्रमी = उपक्रम सहित उपक्रम अर्थात् आयुष्य घटने के निमित्त जैसे किसी की आयुष्य 100 वर्ष की हो / वह 100 वर्ष तक जीने वाला है / परन्तु 50 वर्ष पूर्ण होते ही एक्सीडेंट रूप निमित्त से बाकी रही 50 वर्ष की आयु अन्तमुहूर्त प्रमाण समय में भोग लेता है / कैसे ? / जैसे कि 10 मीटर लम्बी रस्सी हो उसके एक किनारे को आग लगाने से पूरी रस्सी को जलते बहुत समय लगेगा परन्तु उसी रस्सी को इकट्ठा करके केरोसीन लगाकर आग लगा दी जाए तो एक-आधे मिनिट में ही पूरी रस्सी जल जाएगी वैसे ही अपवर्तनीय आयुष्य को उपक्रम (निमित्त) मिलते ही बाकी रही आयु जल्दी से भोगकर नाश कर देता है / 2. अनपवर्तनीय- जिस आयुष्य कर्म की स्थिति शस्त्रादि बाह्य निमित्त, रागादि आभ्यन्तर निमित्त द्वारा भी टूट न सके / सम्पूर्ण आयुष्य को भोगकर ही समाप्त करे उसे अनपवर्तनीय आयुष्य कहते 196
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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