________________ वस्त्र फट जाएगा परन्तु रंग कभी भी दूर नहीं होता वैसे ही * अनन्तानुबन्धी लोभ अनेक प्रयत्न करने पर भी दूर नहीं होता / प्रश्न- 111. आठों कर्मों का राजा कौन है ? सभी कर्मों का सम्राट मोहनीय कर्म है / जैसे युद्ध में राजा के भाग जाने पर सभी सैनिकों को भागना ही पड़ता है वैसे ही मोहनीय कर्म का नाश होते ही सभी कर्मों को विदाई लेनी ही पड़ेगी / कर्मों के नाश के समय भी सर्वप्रथम मोहनीय कर्म का नाश होता है उसके बाद ज्ञानावरणीय आदि शेष कर्मों का नाश होता उत्तर उत्तर प्रश्न- 112. मोहनीय कर्म का बन्ध किन कारणों से होता है ? 1. उन्मार्ग की देशना देने से- जैसे शासन की मान्यता से विपरीत देशना देने से मोहनीय कर्म का बन्ध होता है जैसे देव-देवी की मूर्ति समक्ष पशु बगैरा का बलिदान देना धर्म है ऐसा उपदेश देने से दर्शन मोहनीय कर्म का बन्ध होता है / जैसे मरिची ने कहा था कपिल ! धर्म यहा भी है और वहाँ भी है ऐसा बोलने से एक कोटा कोटि सागरोपम संसार को बढ़ा लिया / 2. मार्ग (शुद्ध प्ररूपणा) का नाश करने से- जैसे कि मोक्ष, स्वर्ग, नरक, पुण्य, पाप ऐसी कोई चीज नहीं है / परलोक पुनर्जन्म आदि काल्पनिक है | तप-त्याग करके शरीर को सुखाना निरर्थक है / ऐसी बातें करने से भद्रिक जीवों को सन्मार्ग से दूर करने से मोहनीय कर्म का बन्ध होता है | अज्जा साध्वी ने अपनी शिष्याओं को कहा कि गर्म पानी पीने से मुझे कोढ़ रोग हुआ है एक को छोड़कर सभी ने गर्म पानी पीना छोड़ दिया जिससे अज्जा साध्वी ने मोहनीय कर्म बान्धा | धर्म आराधना की परम्परा बन्द हो जाए ऐसी बातें या व्यवहार करने से मोहनीय कर्म बन्धता है। 190