________________ उत्तर है। गूंगा-तोतला-बोबड़ा कहकर चिढ़ाने से दूसरे भवों में स्वयं को गूंगा बहरा-तोतला, बोबड़ा बनने का रिजर्वेशन कराना होगा / प्रश्न- 89. दर्शनावरणीय कर्म के कितने भेद हैं ? दर्शनावरणीय कर्म के नव भेद शास्त्रों में बताए गए हैं / 1. चक्षुदर्शनावरणीय कर्म- जिस कर्म के उदय से अन्धापन मिले, आँखों में मोतिया, आँख सम्बन्धी वेदना लाने का कार्य चक्षुदर्शनावरणीय कर्म का है। 2. अचक्षुदर्शनावरणीय कर्म- जिस कर्म के उदय से जीव को गूंगापन, पेरेलाईसीस (लकवा), कान-नाक-जीभ-मन आदि की शक्ति न मिले उसे अचक्षुदर्शनावरणीय कर्म कहते हैं / 3. अवधिदर्शनावरणीय कर्म- जिस कर्म के उदय से जीव को साक्षात् आत्मा से रूपी द्रव्यों का सामान्य बोध न हो उसे अवधिदर्शनावरणीय कर्म कहते हैं | 4. केवलदर्शनावरणीय कर्म- जिस कर्म के उदय से जीव को साक्षात् आत्मा से लोकालोक में रहे सर्वपर्यायों का एक साथ सामान्य बोध न हो उसे केवलदर्शनावरणीय कर्म कहते हैं / 5. निद्रादर्शनावरणीय कर्म- सुखपूर्वक जाग सके ऐसी नींद को निद्रा कहते हैं उसका कारण निद्रा दर्शनावरणीय नाम का कर्म 6. निद्रा-निद्रादर्शनावरणीय कर्म- खूब मुश्किलों से जाग सके ऐसी निद्रा का नाम निद्रा-निद्रा उसका कारण निद्रा-निद्रा नाम का दर्शनावरणीय कर्म / 7. प्रचलादर्शनावरणीय कर्म- बैठे-बैठे या खड़े-खड़े रहने से जो 178