________________ कर्म का क्षयोपशम हो तो जातिस्मरण ज्ञान अपने को भी हो सकता है जैसे सुदर्शना राजकुमारी / प्रश्न- 46. मतिज्ञान के मुख्य भेद कितने हैं ? उत्तर- मतिज्ञान के मुख्य दो भेद हैं। 1. अश्रुत निश्रित मतिज्ञान 2. श्रुत निश्रित मतिज्ञान अश्रत निश्रित- मति ज्ञानावरणीय कर्म के विशिष्ट क्षयोपशय से स्वाभाविक रूप से जो बुद्धि उत्पन्न होती है उसे अश्रुत निश्रित मतिज्ञान कहते हैं / वह चार प्रकार का है | प्रश्न- 47. अश्रुत निश्रित मतिज्ञान के चार प्रकार कौन-कौन से हैं ? 1. औत्पात्तिकी बुद्धि- पहले कभी नहीं देखा, न ही सुना, न ही विचारा हो परन्तु पूछे गए प्रश्न को सिद्ध करने के लिए अचानक ही जो बुद्धि उत्पन्न हो उसे औत्पात्तिकी बुद्धि कहते हैं / जैसे अभयकुमार, बीरबल, रोहक आदि की बुद्धि / ' 2. वैनयिकी बुद्धि- गुरु का विनय करने से धर्म-अर्थ और काम शास्त्र के रहस्यों का ज्ञान कराने वाली जो बुद्धि उत्पन्न होती है वह वैनयिकी बुद्धि कही जाती है / जैसे पाँव के दर्शन मात्र से हथिनी वगैरा के सभी लक्षणों-कार्यों को जानने वाले शिष्य की बुद्धि / 3. कार्मिकी बुद्धि- बारम्बार कार्य करते-करते उत्पन्न होने वाली बुद्धि कार्मिक बुद्धि कही जाती है जैसे रोटी बनाते-बनाते गोल हो जाना-आदि / 4. पारिणामिकी बुद्धि- वय-आयु की परिपक्वता से वृद्ध व्यक्तियों उत्तर 163