________________ की ट्रॅक सेठ की कीर्ति का मंगलगान गा रही है / उसके नाम के गीत गाए जा रहे हैं- 'लावे-लावे मोती शा सेठ, न्हवण जल लावे रे.....!' इसे कहते हैं सम्पत्ति का सदुपयोग | सम्पत्ति के समय की सूझबूझ / यदि पुण्योदय से आपको सम्पत्ति मिली है तो उसका सदुपयोग होना चाहिए - दुरुपयोग तो कभी नहीं / उसे पुण्य कार्यों में लगाना सीखो / जीवन में कभी उड़ाऊ नहीं बनना परन्तु उदार जरूर बनना, करकसर जरूर करना परन्तु कंजूस कदापि नहीं बनना / अपने पूर्वजों के आदर्श जीवन को अपने समक्ष लेकर आओ और याद करो कि उनका जीवन कितना सादा और स्वभाव कितना उदार था, धोती और कुर्ता पहनते थे, सिम्पल मकान में रहते थे / उस समय उनके मकान में आज की तरह प्रत्येक रूम में फोन, फर्नीचर, टी.वी.फ्रीज आदि नहीं / लज्जा ढकने के लिए सुन्दर वस्त्र थे परन्त फैशन नहीं था / सात्विक भोजन था परन्तु जीभ के टेस्ट के लिए भिन्न-भिन्न वेराइटीज नहीं थी / सिम्पल लीविंग एण्ड हाई थींकिंग की बातों को केवल पढ़े ही नहीं परन्तु समझे हुए भी थे / जीवन में धूप-छाया, सभी को सहन करने की शक्ति थी / पैसा पचाने की तथा खर्च करने की शक्ति थी / शक्ति होने पर धर्म के कार्यों में कभी पीछे नहीं रहते थे / अतः प्रिय बन्धुओं ! अपने पूर्वजों के इतिहास को देखकर उनका उपहास न करके उनके गुणों को जीवन में अपनाने का प्रयत्न करो जिससे इस लोक में भी सुखशान्ति की प्राप्ति होगी और परलोक में भी सद्गति मिलेगी / आचरण से ही कहलाते इन्सान हैं / आचरण से ही बन जाते शैतान हैं / आऽचरण में गुरु के तो ज्ञान मिलेआचरण से ही मिल जाते भगवान हैं / -देहदानी पारदर्शी 144