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________________ यहाँ आज कल के युग का कोई कहे कि यह तो बलजबरी अर्थात जबरदस्ती है, परन्तु नहीं यह तो परम्परागत धार्मिक संस्कारों का दान है / जैसे बच्चा स्कूल पढ़ने न जाए तो कैसे उसे भय दिखाकर, प्रलोभन देकर जबरदस्ती स्कूल भेजते हैं | माँ-बाप का लक्ष्य यही होता है बच्चे के जीवन निर्माण का / संस्कार ही व्यक्ति को महान बनाते हैं / तृतीय प्रसंग- अंग्रेजों के शासन में एक बार किसी वायसराय ने लालभाई सेठ को सन्देश भेजा कि सम्मेतशिखर तीर्थ के विवाद के विषय पर विचार विमर्श करने के लिए तथा उसका फैसला करने के लिए मैं कलकत्ता आ रहा हूँ आप भी शीघ्र ही वहाँ पर आ जाइये / फिर हम दोनों मिलकर शिखरजी के पहाड़ पर जाएँगे / जब यह सन्देश लालभाई के पास पहुंचा तो वह असमंजस में पड़ गया क्योंकि उसके पैर की नस पर बहुत बड़ा गूमड़ा (घाव) हो गया था / उसकी असह्य वेदना के कारण वह जाने में असमर्थ था / सोचने लगा कि ऐसी परिस्थिति में क्या करूँ ? क्या न करूँ ? अन्त में उसने मन ही मन निर्णय किया और आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी के मुनीम को शिखरजी भेजने का निश्चय किया और उसे बुलाकर सभी प्रकार की शिक्षा देकर उसे अच्छी तरह से तैयार कर दिया / * लालभाई सेठ की माँ गंगाबाई को जब इस सारी बात की जानकारी मिली तो उसने मुनीम को कहलाया कि गंगा माँ के नाम की एक टिकट भी शिखरजी जाने के लिए अपने साथ ले लेना, क्योंकि गंगा माँ भी आपके साथ जाना चाहती हैं और वायसराय के साथ शिखरजी तीर्थ सम्बन्धी विवाद चर्चा में भाग लेना चाहती हैं / ____माँ के जाने का समाचार जब सेठ लालभाई को मिला तो उसने माँ के पास आकर पूछा- माँ ! आप शिखरजी क्यों जाना चाहती हैं ? वहाँ यह सारा काम अपना मुनीम कर आएगा / उसके साथ मेरी सारी बातचीत हो गई है। मैंने उसे अच्छी तरह से समझा दिया है / 135
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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