________________ किया / उसके बाद हृष्टपुष्ट बत्तीस-बत्तीस (32) जोड़ी बलदों वाले विशाल गाड़े में शिला को पधराकर सिद्धगिरिराज की तरफ प्रयाण किया / रास्ते में ही वह गाड़ा टूट गया जिससे समरा शा को खूब आघात लगा और चिन्तातुर हो गया / रात्रि को स्वप्न में शासनदेवी ने कहा कि तुम चिन्ता मत करो / झंझा गाँव में एक देवी की रथयात्रा के लिए बनाया हुआ गाड़ा देवाधिष्ठित है / तुम वहाँ जाकर पुजारी से वह गाड़ा ले आओ | समरा शा शीघ्र ही प्रातःकाल वहाँ गया और पुजारी से गाड़ा लेकर आया / उसमें उस शिला को विराजमान किया / वहाँ से उस गाड़े में शिला को लेकर अनेक गाँव नगरों में होते हुए जब धोलका पहुँचे तो हजारों नर-नारियों ने उसका सामैया कराया तथा पूजा की / इस प्रकार चलता-चलता गाड़ा गिरिराज की तलहटी तक पहुंच गया | अब इतनी बड़ी शिला को पहाड़ पर चढ़ाना बहुत कठिन काम था / शुभ दिन में 84 (चौरासी) मजबूत व्यक्तियों ने शिला को कंधे पर उठाकर छठे दिन ऊपर पहुँचाया और वहाँ पर जिनबिम्ब भराने का कार्य चालू किया / मुख्य मन्दिर के जीर्णोद्धार का कार्य जोर-शोर से चल रहा था (नया प्रासाद नहीं बनाया परन्तु जो बाहड़ मन्त्री ने बनवाया था उसी की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा था) समरा शा ने श्री अष्टापदजी का मन्दिर तथा वीस विहरमानजी का मन्दिर नया बनवाया / मात्र दो वर्ष में ही यह सारा कार्य पूर्ण हो गया / - ज्योतिषियों ने वि. सं. 1371 महा सुदी चौदस सोमवार पुष्य नक्षत्र मीन लग्न का शुभ दिन प्रतिष्ठा के लिए निकाला / देशल शा ने प्रतिष्ठा के लिए वि. सं. 1371 पोष सुदी सप्तमी के दिन पाटण से विशाल छःरी पलित यात्रा संघ सिद्धगिरि का निकाला / अनेकों ही आचार्य, मुनिवृन्द, साध्वीजी, श्रावक-श्रविका का विशाल समुदाय साथ में था / संघ कमशः सेरिसा, अहमदाबाद, धोलका होता हुआ जब पिपरला पहुँचा तो दूर से गिरिराज के दर्शन करके सभी हर्षोन्मत्त होकर नाचने गाते गिरिराज को बधाने लगे / दूसरे दिन संघ ललित सरोवर के विशाल किनारे पर पहुँचा / 105