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________________ भी बिगाड़ न सका / उसने सर्वप्रथम जावड़ की पत्नी जयमती को अपने फन्दे में फँसाया / जिससे उसे जोरदार बुखार चढ़ गया / गर्मी के कारण उसका जीव घबराने लगा | फिर संघ के यात्रियों पर उपद्रव करने लगा, किसी को भयानक स्वप्न दिखाने लगा | कई यात्रियों को वमन होने लगा, अपचन हो गया सारा शरीर टूटने लगा / ऐसे भयानक उपद्रवों से घबराकर कई यात्री वापिस घर जाने की तैयारी करने लगे / परन्तु संघरक्षक आचार्य भगवन ने अभिमन्त्रित जल तथा रक्षापोटली आदि से सभी को स्वस्थ कर दिया और धर्मोपदेश देते हुए कहा कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है, किसी की भी मृत्यु होने वाली नहीं है, उपसर्ग, उपद्रव जरूर होंगे परन्तु तीर्थ रक्षा के लिए सभी कटिबद्ध होकर सहनशील बनो / गुरुदेव की वाणी सुनकर सभी यात्री एकदम स्वस्थ हो गए और आगे बढ़ने लगे / जत्थाबंध मलीन देवी देवता जोर-जोर से अट्टहास करने लगे, निर्वस्त्र बनकर दौड़ा-दौड़ करने लगे / लोगों को भयभीत करने लगे / आचार्य भगवन मन्त्र जल से सभी का प्रतिकार कर रहे थे / संघ का प्रयाण तीव्र गति से चालू था / चक्रेश्वरी देवी के द्वारा प्राप्त हुई परमात्मा आदिनाथ की प्रतिमा भी संघ के साथ रथ में विराजमान थी / एक दिन रात्रि के समय आचार्य वजस्वामीजी ने जावड़ तथा नूतन कपर्दी यक्ष को बुलाकर कहा कि संघ प्रयाण के पूर्ण होने की तैयारी है। थोड़े ही समय में हम सभी तलेहटी पर पहुँच जाएँगे / अपने साथ में रहे हुए आदिनाथ प्रभु के जिनबिम्ब को पहाड़ पर चढ़ाना अति कठिन कार्य है / मेरा आध्यात्मिक बल, देव का दिव्य बल, और जावड़जी तुम्हारा मानव बल अब पूरी ताकत से लगाने का समय है। ___ मेरी एक बात याद रखना प्रतिमाजी ऊपर जाने के बाद रात्रि के समय नीचे तलेहटी पर आ जाएगी / दुष्ट कपर्दी यक्ष इस प्रभावक प्रतिमा की प्रतिष्ठा के पल तक अपनी सारी मेहनत निष्फल करने का प्रयत्न करेगा / इक्कीस (21) बार प्रतिमाजी को हम ऊपर लेकर जाएंगे और (21) इक्कीस बार ही वह नीचे 89
SR No.004266
Book TitleItihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPragunashreeji, Priyadharmashreeji
PublisherPragunashreeji Priyadharmashreeji
Publication Year2014
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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