________________ 12 देवीने उसकी उत्पत्ति से अन्त तक हाल सुनाया / धनदक्ष व गुणसार की कथा कही। गुणसार विदेश गमन करता है, पीछे कोई पिशाच गुणसार का रूप धारण कर गुणसार की औरत से संसार चलाता है, आखिर सच्चा गुणसार आता है और कपटका भेद खुलता है. दोनो का विवाद होता है, आखिर राजा के पास निर्णय के लिये जाते है और निर्णय होता है। जिसके निर्णय में मायाजालकी बात आती है और इसका वर्णन करने में तीन धूर्तो की कथा सुनाई जाती है। थोड़ी ही देरमें विवाद के स्थान पर वेश्या आती है और दोनो गुणसार का निर्णय करती है। . कपटी गुणसार से रहा हुआ गर्भ रूपवती फेंक देती है और देवी उसको उठा लेती है और वह खप्पर में होने से उस का नाम . खप्पर रक्खा गया। उसको देवी गुफा में ले जाती है और उसको वरदान देती है। राजा विक्रमादित्य देवी के मुख से यह सब हाल सुनकर प्रसन होता हुआ महल में जाकर सो गया। प्रातःकाल राजसभा में अपनी इष्ट सिद्धि का वर्णन करता हुआ यह प्रकरण खतम हुआ। प्रकरण पंद्रहवा . . . . पृष्ठ 141 से 157 तक. खप्परकी मृत्यु ... अब राजा रात्रिमें नगर में अमण करता है और भोखारी का वेष धारण कर के देवी के मंदिर में बैठ गया। उधर खप्पर को कोइ साधु मीलता है। उस को विक्रम की भेट होने के बारे में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org