________________ 376 विक्रम चरित्र तो पूजारीने राजा के समीप जाकर शिकायत कर दी कि “हे राजन् ! आज एक अवधूत वेषधारी पुरुष मन्दिर में आया है जो अपने दोनों पैरों को महादेव के लिङ्ग की ओर कर के सो गया है। " राजा का आदेश * राजाने कहा कि यदि ठीक से कहने पर भी नहीं उठता है तो चाबुक मार कर उस को वहाँ से दूर करो।" राजा की आज्ञा सुन कर उस अवधूत को चाबुक से मारा गया। किन्तु आश्चर्यकारक घटना हुई कि वह मार अन्तःपुर की रानीयों को लगती थी। राजाने यह बात अन्तःपुर की दासियों द्वारा जानी और शीघ्र महाकाल मंदिर में आया। वहाँ आकर अवधूत से कहा कि 'आप कल्याण और मोक्ष को देने वाले शिवजी की स्तुति करें। लोग देवों की स्तुति करते हैं अनादर नहीं / ' सूरिजी ने उत्तर दिया कि 'हे राजन् ! महादेव मेरी स्तुति सहन नहीं कर सकेंगे। तब राजा ने पुनः कहा कि 'आप स्तुति तो करिये महादेव अवश्य सह सकेंगे।' स्तुति के लिये राजा का वारंवार आग्रह सूरिजीने कहा कि 'मेरी स्तुति से यदि देव को कोई विघ्न बाधायें होने लगे तो मुझ को दोष नहीं देना / ' इतना समझाने पर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org