________________ उगनतिसवा प्रकरण समुद्र में गिरना तथा घर पहुँचना समुद्र तट पर एक व्यक्ति का तैरते हुए आना वैद्यराज विक्रमचरित्र एकदा समुद्र तट पर क्रीडा कर रहे थे। उस समय अत्यन्त व्याकुल चित्त वाला तथा एक काष्ठ को पकड़े हुए और उसी के आधार से तैरते हुए किसी मनुष्य को सामनेसे समुद्र में आते हुए देखा / दया उत्पन्न होने से उसने अपने सेवकों द्वारा शीघ्र ही उस मनुष्य को समुद्र से बाहर निकलवाया तथा शरीर में तैल आदि के मर्दन रूप उपचार से शीघ्र ही उसको सचेतन किया / ___ यह आत्मीय है तथा यह अन्य है, ऐसा विचार तो क्षुद्र चित्त वालों को ही हुआ करता है परन्तु जो उदार चरित्र वाले हैं उनके लिये तो समस्त पृथ्वी ही परिवार तुल्य है / सज्जन व्यक्ति दूसरे को विपत्ति में देख कर अत्यन्त सौजन्य दिखाते हैं। लोगों को छाया देने के लिए ग्रीष्म ऋतु में वृक्ष सघन कोमल पल्लवों से आच्छादित हो जाते हैं / सज्जन व्यक्ति नारियल की तरह केवल बाहर से कठोर लेकिन भीतर से सरल, मीष्ट और मूदु होते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org