________________ पाईना लेकर वहाँ आता है, जिस में अपना प्रतिबिम्ब देख महाराजा आश्चर्य चकित हुए। जिस से माईने कहा कि उसका जवाब अमात्य लोक देवे। महाराजा के पूछने पर अमात्यो ने कहा कि इसका जवाब उसी नाईसे लिया जाय क्यूं की वह वाक्पटु है। सब की सम्मति होने से राजा ने नापित से ही जवाब मांगा, और वह बोला कि आप के रूप का घमंड झुठा है कर्मानुसार प्रत्येक मनुष्यको न्यूनाधिक रूप मिला करता है। नापित ने जब ऐसा जवाब दिया तंबं राजाने और क्या क्या आश्चर्य जगत में तुमने देखे हैं वे बतलाओ। जिससे नाईने प्रतिष्ठानपुर का वर्णन करते हुए राजा शालिवाहन और पटरानी विजया और उस की लडकी सुकोमला का वर्णन बतलाया और कहा कि वह राजकन्या अपना सात भव का स्वरूप जानती है, जिस से जिस किसी मनुष्य को वह देखती हैं उस से वह द्वेष रखती है और मार डालती है और पुरुष का नाम मात्र सुनने से स्नान करती है। वह राजकुमारी नरद्वेषिणी है / बाद में राजा के आगे नाईने राजकुमारी के रूपादि का वर्णन किया / राजकुमारी को रहने के लिये राजाने बनाया हुआ उद्यान का वर्णन किया, नाई की बात सुनकर राजा विक्रमादित्य प्रसन्न हुआ और राजभंडार से एक लक्ष द्रव्य देने को कहा / ज्यु ही मंत्री लक्ष द्रव्य देता है त्यों ही नापित ने अपने पास से सात कोटि सुवर्ण महोरे राजा के सामने रखी और सच्चे देवरूप में नाई प्रगट हो गया। देव स्वरूप देखकर सारी सभा आश्चर्य चकित हो गई। देवने अपना स्वरूप बतलाया और विक्रमादित्य के पराक्रम से प्रसन्न होने से गुटिका दी जिस से रूपपरिवर्तन हो सकता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org