________________ 209 min. मुनि निरंजनविजयसंयोजित नगर के लोग अपने अपने घरों में अपने अपने लड़कों से बोले कि वेश्याओं ने चोर को पकड़ने के लिये पटह का स्पर्श किया है, इस लिये वे कदाचित् किसी अन्य पुरुष को छल से राजा के समीप ले जाकर के कह देंगी कि यह चोर है तब तुम लोगों की क्या गति होगी ? अतः सब कोई सावधानी से रहना / क्योंकि वेश्याओं अनेक प्रकार की कुटिलता और वञ्चना में तत्पर रहती हैं। उनके मन में रहता कुछ और ही है, और बोलती कुछ और ही है, और करती कुछ और ही हैं। इस प्रकार वेश्या कभी भी सुख देने वाली नहीं होती। ऐसी अनेक बातें स्थान स्थान पर नगर में हो रही हैं। इसलिये छल छद्म-कपट के घर समान एवं कपट करने में तत्पर ये दुष्ट वेश्याओं कदाचित् जान जाय कि तुम मेरे घर में हो, तो तुम्हारा और मेरा बहुत ही अनिष्ट होगा' ___काली वेश्या की यह बात सुन कर चोर बोला कि 'तुम अपने मन में जरा भी डर मत रक्खो / मैं बुद्धि से ऐसा काम करूँगा जिससे हम दोनों को सुख मिलेगा। एक बात बतलाओ कि उसकी प्रतिज्ञा के कितने दिन बीते हैं / चोर के ऐसा पूछने पर वेश्या बोली:-" कल प्रातःकाल आठवाँ दिन होगा।" देवकुमार का सार्थवाह बनना देवकुमार ने वेश्या से सब वृत्तान्त सुन कर सेठ का रूप धारण किया और नगर में गया / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org