________________ विक्रम चरित्र ___वेश्या की यह बात सुनकर चोर बोला कि-" तुम अपने मनमें कुछ भी भय मत रखो। मैं तुम को-शीघ्र ही काफी सम्पत्ति से युक्त कर दूंगा।" तब प्रसन्न होकर वेश्या बोली कि 'तुम धन्य हो / तथा अत्यन्त निर्भय हो, क्यों कि इस प्रकार के संकट उपस्थित होने पर तुम्हारी बुद्धि-अत्यन्त स्थिर है। शिकार के लिए जाते समय सिंह कोई शकुन या चन्द्रबल आदि नहीं देखता और न धन या शक्ति देखता है / वह एकाकी ही किसी से भी भिड़ जाता है / जहाँ साहस है वहाँ ही सिद्धि होती है / तुम अत्यन्त साहसी हो / इसलिये तुमको सिद्धि अवश्य मिलेगी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org