________________ 142 विक्रम चरित्र को प्रणामकर के अनेक अच्छी अच्छी स्तुतियाँ की / इसके बाद पञ्चनमस्कार का जप करता हुआ देवी के आगे बैठ गया / - इधर वह खप्पर चोर जिन कन्याओं को चुराकर लाया था, उन के आगे बोला कि 'मैं अवन्ती के राजा विक्रमादित्य को छल से मार कर अवन्ति का राज्य प्राप्त करूँगा। और तब बड़े उत्सव के साथ तुम बड़े बड़े धनिकों की लड़कियों के साथ विवाह करूँगा। ऐसी प्रतिज्ञा मैंने की है।' खप्पर के साथ गुफा में जाना ___इस के बाद वह खप्पर चोर नगर में चोरी करने के लिये गया। मार्ग में जाते हुअ एक साधु को बैठे देख कर उस को प्रणाम किया और पूछा कि 'हे साधु ! विक्रम मुझ को आज मिलेगा या नहीं।' ऐसा पूछने पर वह साधु उस से बोला कि ' तुम को आज विक्रम अवश्य मिलेगा।' इस के बाद वह चक्रेश्वरी देवी के मन्दिर में गया। वहाँ पर उस जीर्ण वस्त्रधारी मनुष्य को बैठा हुआ देख कर उस से पूछा कि ' तुम कहाँ से आये हो ? / तुम्हारा क्या नाम है ? ‘तथा किस प्रयोजन से आये हो ? यह -सब बात मुझे बतलाओ / ' राजा इसका आकार, बोल-चाल, समय आदि कारणों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org