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________________ संयोजकका प्राक् कथन. घारमाणि Castiane अनुवाद करनेकी अभिलाषा कब हुई ? विक्रम संवत् 1990 में जो अखिल भारतवर्षीय श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक मुनि संमेलन राजनगर-अमदावाद में समारोह पूर्वक अच्छी तरह समाप्त हुआ था उसमें श्री जैन समाज के लिये लाभप्रद अनेक शुभ प्रस्ताव किये गये थे, उसमें से एक प्रस्तावके फलस्वरूप " श्री जैनधर्मसत्यप्रकाशकसमिति " का प्रादुर्भाव हुआ और क्रमशः उस समिति द्वारा " श्री जैनसत्यप्रकाश " नामक मासिक पत्र प्रकाशित होने लगा, उस 'मासिकका' क्रमांक 100 को विक्रमविशेषांक के रूपमें तैयार करनेका समितिने निर्णय किया, उस निर्णय के अनुसार सम्राट विक्रमादित्यका चलाया हुआ विक्रम संवत् के 2000 वर्ष पूर्ण होते थे, उस समय संवत्की दूसरी सहस्राब्दीके पूर्णाहूति और तीसरी सहस्राब्दीके आरंभ कालमें विक्रम विशेषांक प्रगट करनेकी जाहेरात की गइ और सं. 1999 के चातुर्मास अन्तर्गत श्रीपर्युषणा-पर्वाधिराजके आसपास के कालमें 'श्री जैन धर्म सत्य प्रकाशक समिति ' ने विक्रम विशेषांक के लिये विद्वान पूज्य मुनिवरादि तथा अन्य लेखकों को महाराजा विक्रम संबंधि लेख Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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