________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित ___ तब उन दोनों ने जवाब दिया कि- 'रूपलावण्यवती 'रूपश्री' नाम की हमारी बहिन वहाँ रहती है, जो कि प्रत्येक समय राजकन्या सुकोमला के पास गायन और नाट्य करने को जाती है।' तब महाराज ने उन वेश्याओं से कहा-" मेरा विचार वहाँ जाने का है, अतः तुम दोनों मेरे साथ दहा चलो।" तब उन दोनों ने कहाः “हम आप के साथ अवश्य चलेंगी।" प्रतिष्ठानपुर गमन महाराज ने अग्निवेताल का स्मरण किया। क्षणभर में अग्निवेताल वहाँ उपस्थित हुआ, अवन्ती का राज्य चलाने के लिये बुद्धिसागरं मंत्री को वहाँ रख कर और अग्निवेताल, भट्टमात्र तथा उन दोनों वेश्या ओं को साथ ले कर जाने के लिये महाराज ने पांच घोड़े मँगवाये और परस्पर विचार कर घोड़ो पर सवार हो पर्वत, जंगल और नगरों में होते हुए वहाँ चले। क्रम से Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org