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________________ अमदावाद मस्कती मारकीट की जैन मारवाडी कमिटि की अतिआग्रहभरी विनंती से पर्वाधिराज पर्युषणा पर्वमें श्री संघको पर्वआराधना कराने के लिये वि. सं. 2007 और 2008 में पूज्य गुरुमहाराज श्री की आज्ञानुसार पूज्य मुनिवर्यश्री निरंजनविजयजी म. श्री पधारे थे, इन सालोमें श्री संघने अत्यन्त उल्लास भावसे पू. महाराजश्री की निश्रा पर्व-आराधना एवं समयानुसार शासनप्रभावना के अनेक शुभकार्य किये / वि.सं. 2008 में यह हिन्दी विक्रमचरित्र छपवाने में हमारी ग्रंथमालाको आर्थिक सहाय देने के लिये पूज्य महाराजश्रीने उपदेश दिया, शेठ छगनलाल पुनमचंदजी, बालभाइ मगनलाल तथा समरथमल हेमाजी आदिकी प्रेरणासे जो जो मान्नु भावोने यह पुस्तक के प्रथम ग्राहक बनकर ग्रंथमाला को प्रोत्साहन दिया है उन महाशयोंका आभार मानते हैं और इसी तरह हमारी शुभ प्रवृत्तिमें पुनः पुनः सहायक होवे, यही शुभेच्छा रखते है। कि प्रकाशक VRXCL..', अजय विजय R1 AN - wha Mana श्रीनेमि-अमत सान्ति निरंजन अन्यमाला Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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