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________________ कर्म-विज्ञान : भाग ६ विषय-सूची क्या कहाँ १११ १. कर्ममुक्ति के लिए चार तत्त्वों का ज्ञान आवश्यक २. धर्म और कर्म का कार्य, स्वभाव और प्रभाव ३. धर्म और कर्म : दो विरोधी दशाएँ ४. संवर और निर्जरा : एक विश्लेषण ५. समस्या के स्रोत : आस्रव, समाधान के स्रोत : संवर ६. पहले कौन? संवर या निर्जरा ७. संवर और निर्जरा का प्रथम साधन : गुप्तित्रय ८. संवर और निर्जरा का द्वितीय साधन : पंच-समिति ९. संवर और निर्जरा का स्रोत : श्रमणधर्म १०. दशविध उत्तम धर्म ११. संवर और निर्जरा की जननी : भावनाएँ और अनुप्रेक्षाएँ १२. कर्ममुक्ति में सहायिका : अनुप्रेक्षाएँ १३. आत्म-रमण में सहायिका : अनुप्रेक्षाएँ १४. भाव-विशुद्धि में सहायिका : अनुप्रेक्षाएँ १५. मैत्री आदि चार भावनाओं का प्रभाव १६. आत्म-मैत्री : कर्मों से मुक्ति का ठोस कारण १३४ १६६ १७९ १९५ २२१ २४३ २६९ २९५ ॐ १३ *
SR No.004247
Book TitleKarm Vignan Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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