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________________ २८४] अपरिग्रह नहीं हो सकती। क्या अंधकप कभी किसो पदार्थ से भरता है। क्या पेट कभी भी रोटी खाने' से-कितना भी खाने पर भरता है. ? नहीं। आप की पेटी-आप का खजाना भी कभी भर नहीं सकता। पेट तो भर सकता है। सभा में से--खाने के लिए ही कमाते हैं। क्या सचमच खाने के लिए कमाते हो या पेटी भरने के लिए कमाते हो ? यदि पेट के लिए कमाते हो तो पेट तो भर सकता है । परन्तु पेटी कभी. भर नहीं सकती। जब छोटी पेटी भर जाती है तो पेटी को बडा कर लिया जाता है । पेटी को भरने के कारण हैं, आप के धनी पडोसी । जब वे धनाढ्य हैं तो आप को भी तो धनाढय बनने का अधिकार है। __ आप सदैव ऊपर को देखते हैं। सुखी जीवन जीना है तो अपने से नीचे देख कर चलो। ऊपर देख कर.चलने वाले हमेशा ठोकर खाकर गिर जाया करते हैं। नीचे देखने वाले सदैव सूखी रहे हैं। ___ एक भिखारी था । वह सारा दिन भीख मांग कर निर्वाह किया करता था। उस के पास जूता नहीं था। उस ने एक दिन देखा कि लोग एक देवी के मन्दिर में 'मानता' मानने के लिए जा रहे हैं। किसी को पुत्र की आवश्यकता थी तो किसी को धन की। उस ने सोचा कि मुझे तो यह सब कुछ नहीं चाहिए । एक जूता ही मिल जाए तो पर्याप्त है । उस ने देवी से जूता मांगा। परन्तु बहुत दिनों तक मांगने पर भी उसे जूता न मिला। एक दिन वह जा रहा था कि उस ने देखा कि एक आदमी जिस की टांगें ही नहीं थीं, भीख मांग रहा था। उस से चला भी नहीं जा रहा था। वह अचानक बोला, 'प्रभो ! तेरा बहुत शुक्रिया । इस Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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