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________________ २२० सत्य खरीद कर ही लाया है। बिना माया तथा मषावाद के धन कैसे कमाया जा सकता है। ३. माया से :-प्राणों की रक्षा करने के लिए भय के कारण झूठ बोला जाता है। भयभीत व्यक्ति को सदैव भय होता है कि मेरी कोई बात पकड़ी न जाए। वह डर-डर कर बोलेगा, तथा बारम्बार असत्य बोलने के कारण अपने बयान भी बदलेगा। भय से थरथर क पते हुए वह सत्य बोल भी कैसे सकता है ? यदि उसे भयमक्त किया जाए तो सत्य बोलने की सम्भावना हो सकती हैं। मानव अपयश, हानि आदि के भय से कह देता है कि मैंने यह काम नहीं किया। परन्तु इस प्रकार पाप+झूठ मिल जाने से द्विगणित पाप हो जाता है । लोगों से भय अच्छा या आत्मा से भय अच्छा ? असत्य को स्वीकार करके प्रायश्चित्त करना चाहिए। ___ लाई डिटेक्टर (Lie Dectecter) के द्वारा कई अपराधियों का झूठ पकड़ लिया जाता है, क्योंकि झूठ बोलते समय मानव के हृदय की धड़कन कुछ बढ़ ही जाती है । परन्तु जिसे लाइ डिटेक्टर Indicate करता है । परन्तु कई व्यावसायिक (पेशेवर) अपराधी वहां भी झूठ को ऐसे बोल जाते हैं जैसे कि वह सत्य ही क्यों न हों। परन्तु झूठ बोलने वालों को भय के कारण भी अनायास ही झूठ बोलना पड़ता है। ४. हास्य से -हंसी मजाक में कई बार झूठ बोला दिया हंसी मजाक को यदि मनोरंजन तक ही रखा जाए तो व्यावहारिक रूप से उचित हो सकता हैं परन्तु जब यह प्रतिक्षण का ही कार्य बन जाए तो? . कई बार तो हंसी मजाक से अपने सम्बन्धी या शत्रु किसी की मृत्यु का झूठा तार (Tele gramme) दे दिया जाता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004233
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashobhadravijay
PublisherVijayvallabh Mission
Publication Year
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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