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योग शास्त्र
१८५ हो रहा है । बहुत बचने की आवश्यकता है। सारे जीवन में एक बात याद रखना कि यदि आप का आहार शुद्ध नहीं होगा तो आप का आचार विचार और व्यवहार कभी भी शुद्ध नहीं हो सकता है। आज कल तो शाकाहारी अण्डे भी बाज़ार में आ गये हैं। वेजीटेरीयन अंडे ! बिल्कूल वेजीटेरीयन ! मानों वो जमीन (पथ्वी) से उगे हों। अंडे-वनस्पति की तरह, आल गोभी की तरह, भिंडी की तरह क्या जमीन में उगते हैं ? जब वे ज़मीन में से उग नहीं सकते तो शाकाहारी कैसे हो गये ? वो शाक कैसे बन गया। वह मांस है. प्योर मांस है क्योंकि वह मर्गी के अन्दर से निकलता है। मुर्गी का भाग है उसे शाकाहारी कहना भी बेवकूफी का प्रमाण देना है।
लेकिन आज कल हमारे यवक तथा कई सम्प्रदायों के लोग ब्राह्मण वैश्य, शूद्र और हमारी समाज के लोग भी सत् संगति (?) के कारण बिगड़ जाते हैं । वे सब कुछ खाते पीते हैं । आप को पता भी नहीं होता । आप कहते हैं कि हमारा बच्चा तो बहुत अच्छा है । जाकर तो देखो उन की खराब आदतें। शराब पीना, मांस खाना, क्लबों एवं होटलों में जाना आना । कौन-कौन से अच्छे काम वह करता है ? आप भेजते हैं अपने बच्चे को फॉरेन में । स्वयं मत जाना। भेजते हैं अपने बच्चों को । स्वयं जाओगे तो स्वयं बिगड़ जाओगे, पतित हो जाओगे तथा स्वयं नरक में जाना पड़ेगा। यह मालूम है इस लिए बच्चों को भेजते हैं। बच्चे नरक में जाएंगे तो पता चलेगा। ठीक है न ?श्री कृष्ण महाराज अपनी पुत्रियों को भागवती दीक्षा के लिए समझाते थे ताकि वे दुर्गति में न जाएं। आप अपने बच्चों को बिजनेस के लिए अमेरिका भेजते हैं। ऐश-ओ-इशरत के लिए गोवा और कश्मीर भेजते हैं ना ? वहां जा कर वे क्या काम नहीं करते ? सारी दुनियां के
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