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________________ आणी तीरे हस्तगीरी, पेली तीरे कदमगीरी वचमां शत्रुजयंगीरी रास रमे रे गीरी रास रमे रे ...... शेजूंजी ओकवार अकवार पार्श्व प्रभुजी, मारे मंदिरीये आवोने मारे मंदिरीये आवो मारा व्हाला आवो मारा व्हाला हुं तो करु कालावाला __मारा आंगणीया शोभावोने .... अकवार .... नानीशी झोपडी ने मन मारा मोटा, अमां हं तमने समावू रे .... अकवार .... ॥१॥ ॥२॥ आज मारा देरासरमां, मोतिडे मेह वरस्यां रे मुखडू देखी प्रभुजी तमारू, हैया सहुनां हररव्या रे .... आज .... झगमग झगमग ज्योती झलके, वरसे अमीरस धारा रे.. रुप अनुपम नीरखी विकसे, अंतरभाव अमारा रे ..... आज ..... ... १०) सावरे सोनानां तारां मंदिरियां बनावु रतननी पडीमा भरावु रे ......... सावरे शिखरे शिखरे कलश चढायूँ रुडा रुडा ध्वजदंड मुकावूरे सुंदर ध्वजाओ फरकाउ रे ........ सावरे बारणे बारणे तोरणीयां बंधावू झीणी झीणी कोतरणी करावं रे नानी नानी घुघरीओ मुकावू रे ....... सावरे ११) उग्यो उग्यो सुरज आज सोनानो आव्यो आव्यो अवसर आज आंनदनो - रुडी वर्ष गांठ उजवाय ......... सुरज आज 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004230
Book TitleAdhar Abhishek evam Dhwajaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvind K Mehta
PublisherArvind K Mehta
Publication Year2005
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size9 MB
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