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(श्री जिन मंदिरनी वर्षगांठ प्रसंगे ध्वजारोपण विधि)
चोत्रीशो यंत्र ध्वजारोपण माटे
५ १६| ३ |१०| शुभ नक्षत्र
| ४ | ९ | ६ |१५| त्रण उत्तरा, आद्रा-श्रावण-धनिष्टाशतभिषा-रोहिणी अने पुष्य नक्षत्र छे. |१४|७|१२| १ नक्षत्र न मळे तो शुभ चोघडीयुं लेवू. H
ध्वजानुं माप
११/२ १३/८ |
ध्वजा दंड जेटली लांबी अने दंडना आठमा भाग जेटली पहोळी (पाटलीनी पहोळाइ जेटली) बनाववी. परिकर साथे मूळनायक होय तो वच्चे सफेद पट्टो आजुबाजुलाल राखवो अने परिकर न होय तो वचेलाल पट्टो आजु बाजु सफेद राखवो जोइओ. तमाम ध्वजा उपर केशरथी सूर्य, चंद्र, ॐ ह्री श्री स्वाहा, उपर नीचे त्रण साथिया अने चोत्रीशी यंत्र आलेखवो (दोरवो).
विधि सवारे स्नात्र भणावq सत्तरभेदी पूजा भणावता नवमी ध्वजापूजा भणावी पूज्य गुरु भगवंत होय तो तेओश्रीना श्रीमुखे मंत्रोच्चार करावी ध्वजा उपर वासक्षेप कराववो. गुरुमहाराज न होय तो उत्तम व्रतधारी श्रावके सातवार मंत्रोच्चार करी ध्वजा उपर वासक्षेप करवो....
मंत्र : ॐ ह्री श्री ठः ठः ठः स्वाहा त्यारबाद सौभाग्यवती बहेने ध्वजा थाळीमां माथे लई थाळी डंका (वाजींत्र) ना नाद साथे जिनालयने त्रण प्रदक्षिणा आपवी. जिनालयने प्रदक्षिणा अशक्य होय तो सिंहासनने (त्रिगडाने) त्रण प्रदक्षिणा आपवी. पछी ध्वजा - पक्षाल - पाणी - अंगलूंछणा - केसरनी वाटकी - वासक्षेप - धूप - दीपक - कंकु - फूल - सोपारी - घंटडी - दर्पण - थाळीवेलण - बाकळा सवा किलो सात धानवाला अथवा पाच धान ( अडद - चणा - मग - घऊं - जुवार - डांगर - जव) - अबिल - गुलाल - कळीलाडु - मींढळ - मरडाशींग - डाभर्नु घास -नागरवेलनां पांच पान - फुलना बे हार -
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