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________________ श्री अढार अभिषेक विधि . श्री सकलचन्द्र गणिकृत् श्री अष्टादश (अढार) अभिषेक विधि (१) प्रथम विधिपूर्वक रागरागणीधी स्नात्र भणावयु. आरती, मंगलदीवो ___अने शांतिकलश अढार अभिषेकनी विधि पूर्ण थया बाद करवी. . (२) अढार अभिषेकनी सर्व सामग्री व्यवस्थित तैयार करी सुविहित गुरुमहाराज श्री अथवा विधिकारक पासे मंत्रांववी. (वासक्षेप करवा पूर्वक) (३) सकलसंघ समुदाय, प्रथम मूळनायक भगवाननी स्तुति बोले, पछी वज्रपंजर स्तोत्र बोली आत्मरक्षा करीने अढार अभिषेकनी विधि चालु करे. अभिषेकनी समज एक नवी कुंडीमां पवित्र जळ नाखवू. तेमां वास, चंदन, पुष्प विगेरे थोडां नाखी जे जे प्रकार, स्नात्र करवानुं होय ते स्नात्रचूर्ण नाखी तेना चार कळशो भरवा, पछी जिनमुद्राधी देव सन्मुख उभा रहीने दरेक स्नात्र माटे नीचे आपेलां काव्यो तेमज गीत, गान, पंचशब्द वाजिंत्रो साथे मंत्रथी अभिमंत्रित करायेला स्नात्रजळथी अढार स्नात्रो करवां. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004229
Book TitleAdhar Abhishek Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvindsagar
PublisherSanjaybhai Pipewala
Publication Year2000
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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