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________________ श्री अठार अभिषेक विधि सकलौषधिसंयुक्तः, सुगन्ध्या घर्षितं सुगतिहेतोः । स्नापयामि जैनबिम्ब, मन्त्रिततन्नीरनिवहेन ।।२।। ॐ ह्रां ह्री हूँ है हौ ह्रः परमार्हते परमेश्वराय गन्ध-पुष्पादिसंमिश्राऽम्बरोसीरादि-सुगन्धद्रव्य-संयुत-जन स्नापयामीति स्वाहा। __ ।। इति दशम स्नात्रम् ।।१०।। - अगीयारमुं (पुष्प) स्नात्र - पुष्प - १. सेवंत्रा, २. चमेली, ३. मोगरा, ४. गुलाब,५. जूई - ए पांच जातनां फूलो पाणीमां नांखी कळशो भरी नीचेना श्लोक तथा मंत्र बोली अभिषेक करवो. - नमोऽर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः अधिवासितं सुमन्त्रैः, सुमनः किञ्जल्कराजितं तोयम् । तीर्थजलादिसुपृक्तं, कलशोन्मुक्तं पततु बिम्बे ।।१।। सुगन्धिपरिपुष्पौधै-स्तीर्थोदकेन संयुतैः। भावनाभव्यसन्दोहै:, स्नापयामि जिनेश्वरम् ।।२।। ॐ हाँ ह्रीं हूँ हैं ह्रौं हा परमार्हते परमेश्वराय गन्ध-पुष्पादि-संमिश्र- | पुष्पौघ-संयुत-जलेन स्नापयामीति स्वाहा। ।। इति एकादश स्नात्रम् ।।११।। - बारमुं (गन्ध) स्नात्र - गन्ध - १. केसर, २. कपूर, ३. कस्तूरी, ४. अगर, ५. चंदन - ए द्रव्यो घसी पाणीमां नांखी कळशो भरी नीचेना श्लोक अने मंत्र बोली अभिषेक करवो. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004229
Book TitleAdhar Abhishek Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArvindsagar
PublisherSanjaybhai Pipewala
Publication Year2000
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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