________________
दशरथ द्वारा कैकेयी को वरदान
ASTROMBALKARNA
ASTMETALLIATATBILITAN
3590
SON
COM
DOCCUDiscoCDOC
DILIP 96
भरत द्वारा दीक्षा की अ याचना : असार संसार का त्याग कर मोक्षमार्ग पर चलने के लिए आतुर दशरथ राजा ने अपने समस्त परिवार एवं मंत्रीजनों को बुलवाकर पियुष वाणी से दीक्षा के लिए अनुमति मांगी। पिता का मनोरथ सुनते ही भरत ने प्रणाम करते हुए कहा, "पिताश्री ! यदि आप अनुमति दें, तो मैं भी आपके साथ दीक्षा ग्रहण करुंगा। अन्यथा मुझे अत्यंत दुःखदायक दो पीडाओं को भुगतना पड़ेगा। पहली पीडा है आपका वियोग व दुसरी है संसार का संताप। अतः मैं आपश्री के साथ ही दीक्षा ग्रहण करने के लिए उत्सुक हूँ।"
Lin Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org