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अखियां हरखण लागी, हमारी अखियां हरखण लागी, दरिसण देखत पास जिणंदको, भाग्य दशा अब जागी.
हमारी० १
अकल अरूपी और अविनाशी, जगजनने करे रागी.
“सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः” 95
हमारी० २
शरणागत प्रभु तुम पयपंकज, सेवना मुज मन जागी.
लीलालहेर दे निज पदवी, तुम सम को नही त्यागी.
वामानंदन चंदन नी परे, शीतल तुं सोभागी.
ज्ञानविमलं प्रभु ध्यान धरंता, भव भय भांवठ भागी.
हमारी० ३
हमारी० ४
हमारी० ५
हमारी० ६