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________________ 13 प्रेमसूरि की शीतल छाया में... प्रेमसूरि की शीतल छाया में, होती है आज जयजयकार... (२) इस दुनियां के भाग्य विधाता, रग रग बहता सत्य का नाता, दुनिया के है वो तारणहार... भव्य जीवों के भ्राता त्राता, हम सब बच्चे तेरे माता, मिलता ही एक तेरा प्यार... माया में भटका कर्मों में अटका, प्रभुपूजा मोहभंवर में मैं हूं लटका, छाया है अब घोर अंधार... चंद गया पर सूरज जिंदा, तेरी कृपा भुवनभानुसूरि जयजयकार... से चमके अमंदा विसवास बढाया, मेवाड देशोद्धार कराया सूरि जितेन्द्र की वाणी उदार... आज बढी है अंधी जवानी, उनको पिलायी अमृतवाणी सूरि गुणरत्न की जयजयकार... गुण गाना ओ गुण मत वाले, प्याले पीले भर-भर गुरु गुण सूरिरश्मि की ये ललकार.... सिद्धाचल गिरि नमः ॥ विमलाचल गिरिनमो नमः 131 9 ६ ७
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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