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9 मेरे दोनो हाथो में, ऐसी लकीर है..
लिखा है...
मेरे दोनो हाथो में, ऐसी लकीर है,
दादा से मिलन होगा, मेरी तकदीर है,
लिखा है ऐसा लेख दादा (२) लिखता है लिखने वाला, सोच समजकर,
मिलना बिछुडना दादा, होता समय पर,
इसमें न मीन या मेख दादा (२) किस्मत का लेख कोई, मीटा नहीं पायेगा,
मिटती नहीं है रेखा, दादा (२) ना ये दिन रहे, ना वो दिन रहेंगे,
दादा तुम देख लेना, वो दिन रहेंगे, दादा तुम देख लेना जल्दी मिलेंगे,
इन हाथों को देख दादा (२) इन भक्तों को देख दादा (२)
• अपनी नजर से देख दादा (२)
लिखा है...
लिखा है...
लिखा है...
आज आनंद भयो... आज आनंद भयो, प्रभु को दर्श हुओ,
रोम रोम शीतल भयो, प्रभु चित्त आये हैं (३) मन हु तो धार्य तो है चलके आये मन मोहे,
चरण कमल तेरो मन में ठहरायो हैं...
रोम रोम शीतल भयो, प्रभु चित्त आये हैं अकल अरूपी तूहीं अकल मूर्ति तूहीं
निरख निरख तेरो सुमति सुमिलायो है...
रोम रोम शीतल भयो, प्रभु चित्त आये हैं सुमति स्वरुप तेरो, रंगभयो एक अनेरो,
वारंग आत्मप्रदेशे सुजश रंगायो रे... रोम रोम शीतल भयो, प्रभु चित्त आये हैं
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"सिद्धाचल गिरि नमो नमः * विमलाचल गिरि नमो नमः” 127