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________________ आंखडी मारी प्रभु हरखाय... आंखडी मारी प्रभु ! हरखाय छे, ज्यां तमारा मुखना दर्शन थाय छे... आंखडी मारी... पग अधीरा दोडता देरासरे (२) द्वारे पहोंचु त्यां अजंपो थाय छे.. ज्यां०१ देवनुं विमान जाणे उतर्यु (२) । एवं मंदिर आपनुं सोहाय छे... ज्यां०२ चांदनी जेवी प्रतिमा आपनी (२) तेज एनुं चोतरफ फेलाय छे... ज्यां०३ मुखडं जाणे पुनमनो चंद्रमा (२) दिलमां तो ठंडक अनेरी थाय छे.. ज्यां०४ बस तमारा रुप ने निरख्या करुं (२) । लागणी एवी हृदयमां थाय छे... ज्यां० ५ हे शंखेश्वर स्वामी... हे शंखेश्वर स्वामी, प्रभु जग अंतर्यामी, तमने वंदन करीए, शिव सुखना स्वामी. हे शंखेश्वर... मारो निश्चय एक ज स्वामी, बर्नु तमारो दास (२) तारा नामे चाले, मारा श्वासोश्वास... | हे शंखेश्वर० १ दुःख संकट ने कापो स्वामी वांछितने आपो (२) पाप अमारा हरजो, शिव सुखने देजो... - हे शंखेश्वर०२ निशदिन हुं मांगुं छु, स्वामी तुम चरणे रहेवा (२) ध्यान तमारुं ध्या, स्वीकारजो सेवा... हे शंखेश्वर०३ रात दिवस झंखु छु, स्वामी तमने मलवाने (२) आतम अनुभव मांगु, भव दुःख टलवाने... हे शंखेश्वर०४ करुणाना छो सागर स्वामी, कृपा तणा भंडार (२) त्रिभुवनना छो नायक, जगना तारणहार...- हे शंखेश्वर०५ Jin Education Internationel सिद्धाचल For Personal & Private Use Only र नमो नमः * विमलाचल गार नमो नमः 1091 www.jainelibrary.og
SR No.004225
Book TitleChari Palak Padyatra Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajhans Group of Industries
PublisherRajhans Group of Industries
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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