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मारुं आयखं खूटे जे घडीए...
मारु आयखं खूटे जे घडीए; त्यारे मारा हृदयमां पधारजो; छे अरजी तमोने दादा एटली; मारा मृत्युने स्वामी सुधारजो
छे अरजी०१ जीवननो ना कोई भरोसो; दोडा दोडीना आ युगमां; अंतरियाले जईने पहुं जो, ओचिंता मृत्युना मुखमां; त्यारे मारा स्वजन बनी आवजो; थोडा शब्दो धर्मना सुणावजो
____छे अरजी०२ दर्दो वध्या छे आ दुनियामां, मारे रिबावी रिबावीने; एवी बिमारी जो मुझने सतावे, छेल्ली पलोमां रडावीने; त्यारे मारी मददमां पधारजो, पीडा सहेवानी शक्ति वधारजो
छे अरजी०३ जीवq थोडं ने जंजाल झाझी, एवी स्थिति आ संसारनी; छूटवा दे ना मरती वेलाओ, चिंता मने जो परिवारनी; त्यारे वीवो तमे प्रगटावजो, मारा मोह तिमिरने हटावजो
छे अरजी०४
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"रिमाल गिरि माविमलाचल गिरि नमो नमः" 107