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पासजी तोरा पाय पलक में
छोड्यां रे नवि जाय पलकमें, छोड्यां रे नवि जाय...
साहिबा तुमरो लगन लगी ! लगी लगी अंखीयाने रही रे लोभाय,
दुनियामां दूजो कोई आवे न दाय आछी आछी अंगीयाने रंग अनुप,
अजब बन्युं छे साहिबा आजनुं रूप शिर काने कर हैये सोहे उदार,
मुगुट - कुंडल - बाजुबंधने हार तुज पद पंकज मुज मन भंग,
चित्तमा लाग्यो रे साहिबा चोलनो रंग देवाधिदेव तुं तो दीनदयाल,
त्रिभुवननायक तुजने नमुं त्रणकाल लंबी लंबी बाहुडीने बडे बडे नैन,
सुरतरु सरिसा साहिबा शिवसुख दैन जुनी जुनी मूरतीने ज्योत अपार,
सूरत देखीने प्रभुजी मोह्यो संसार सत्तरसे अॅशी समेने चैंतर मास,
पूरण मासे पहोंती पूरण आश 'उदयरतन' वाचक वदे मम,
पार्श्वशंखेश्वर जोतां वाध्यो छे प्रेम
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Jain Edition
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सिद्धाचल
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