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________________ दशांग धूप का चूरा धूप दानी में (अग्निमें) डालिये । अगर कृष्णागरु, कुंदरु सुगंधे। धूप करीजे विविध प्रबंधे, लूणउतारो ।।७।। (श्लोके बोलने के बाद पानी में और धूप में द्रव्य डालना है) आरति नमोऽर्हत् ... जय जय आरति आदि जिणंदा, नाभिरायामरुदेवीको नंदा, पहेली आरति पूजा किजे, नरभव पामीने ल्हावो लिजे...जय जय ।।१।। दुसरी आरति दीन दयाळा, धुळेवा मंडपमांजग अजवाळा...जय जय ।।२।। तीसरी आरति त्रिभुवन देवा, सुर नर ईन्द्र करे तोरी सेवा...जय जय ।।३।। चौथी आरति चौगति चूरे, मनवांछित फळ शिव सुख पुरे...जय जय ।।४।। पंचमी आरति पुण्य उपाया, मूळचदे ऋषभ गुण गाया...जय जय ।।५।। मंगळ दीवो नमोऽर्हत्... दीवोरे दीवो प्रभुमंगलिक दीवो, ‘आरति उतारण बहु चिरंजीवो...दीवो ।।१।। सोहमणुंघेर पर्व दीवाळी, अंबरखेले अमराबाळी...दीवो ।।२।। देपाळ भणे अणे कुळ अजवाळी, भावे भगते विधन निवारी...दीवो ।।३।। देपाळ भणे अणे ओकलिकाळे, आरति उतारी राजा कुमारपाळे....दीवो ।।४।। .. अम घेर मंगलिक, तुम घेर मंगलिक, . मंगलिक चतुर्विध संघने होजो...दीवो ।।५।। अब, कुंडीमें सजोडे शांति कळश किजिये । नवकार, उरासग्गहरं, नमोऽर्हत्...बोलकर नीचे दी गई बडी शांति बोलिये। - बृहच्छांति स्तोत्रम् (मोटी शांति) भो भो भव्याः शृणुत वचनं प्रस्तुतं सर्वमेतद, ये यात्रायां त्रिभुवनगुरो-रार्हता भक्तिभाजः । तेषां शांतिर्भवतु भवता-मर्हदादि-प्रभावा, दारोग्यश्री-धृतिमतिकरी क्लेश-विध्वंसहेतुः ।। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004223
Book TitleAdhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
PublisherAkhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publication Year
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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