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अक डंका बजाकर परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये । अठराहवे अभिषेक में केशर, कस्तुरी और चंदन मिश्रित जल दिया जाता है । केशर कस्तुरी-चंदन मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये ।
नमोऽर्हत् ... बोलकर नीचे दिया गया श्लोक बोलिये । सौरभ्यं धनसार-पङ्कजरजोभिः प्रीणितैः पुष्करैः । शीतैः शीतकरा - वदात - रुचिभिः काश्मीर- सम्मिश्रितैः । श्रीखण्ड-प्रसवा चलैश्च मधुरैर्नित्यं लभेष्टैर्वरैः ।
सौरभ्यो- दक- सख्यसार्वचरण - द्वन्द्वं यजे भावतः ।।१।। मृगमद - बहलैः सलिलैः, निपतद्भि-र्भवतु जैनबिम्बस्य ।
लौहं कवच-मिवोच्चैः, परिहाराय व्यपायानाम् ||२|| मन्त्र-पवित्रित-पयसा, प्रकृष्ट- कस्तूरिका सुगन्धपूजा ।
विहित-प्रणताभ्युदयं, बिम्बं स्नपयामि जैनेन्द्रम् ।।३।। अतिसुरभि - बहुल-परिमल - वासितपानेन मृगमद - स्नात्रे ।
मन्त्रैः कृते पयोभिः स्नपयामि शिवाढ्य - जिनबिम्बम् ||४|| ॐ हाँ ह्रीँ हूँ हूँ हूँ हूँ परमार्हते परमेश्वराय गन्धपुष्पादिसंमिश्र - मृगमद - श्रीखण्ड-कश्मीरजादि संयुतेन जलेन स्नपयामि
स्वाहा ।
उपर दिया गया श्लोक बोलकर थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशो से बिंब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूणा कीजिये ।
नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर ओक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर ओक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा ।
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