SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमाईते परमेश्वराय गन्धपुष्पादिसंमिश्र-सुगन्ध-वासचूर्ण-संयुतेन जलेन स्नपयामि स्वाहा । उपर दिया गया श्लोक बोलकर, थाली बजाकर, गीत-वाजिंत्र के नादपूर्वक कलशोसे बिंब के उपर अभिषेक कीजिये, अंग लूछणा कीजिये । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते पृथिवि पृथु पृथु गन्धं गृहाण गृहाण स्वाहा | नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अक डंका बजाकर पुष्पपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते महाभूते मेदिनि । पुरु पुरु पुष्पवति पुष्पं गृहाण गृहाण स्वाहा । नीचे लीखा हुआ मंत्र बोलकर अंक डंका बजाकर धूपपूजा कीजिये । ॐ नमो यः सर्वशरीरावस्थिते दह दह महाभूते । ___ तेजोऽधिपते धूपं धूपं गृहाण गृहाण स्वाहा । बाद में नीचे दिया गया श्लोक बोलकर दीपपूजा, अक्षतपूजा, नैवेद्य पूजा और फलपूजा कीजिये । ॐ ह्रीँ श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म-जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय दीपं-अक्षतं-नैवेद्यं-फलं यजामहे स्वाहा । यहाँ तेरहवा अभिषेक पूर्ण हुआ। ||१४|| चतुर्दशं क्षीरचन्दन-स्नात्रम् ||) नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधूभ्यः नाना-सुगन्धि-पुष्पौघ-रञ्जिता, चञ्चरीक-कृतनादा । धूपामोद-विमिश्रा, पततात्पुष्पाञ्जलिर्बिम्बे ||१।। ॐ हाँ हाँ हूँ हूँ हाँ हूँ: परमार्हते परमेश्वराय पुष्पाञ्जलिभिरर्चयामि स्वाहा। ओक डंका बजाकर परमात्मा के उपर कुसुमांजलि चढाईये । चौदहवे अभिषेक में सुखड और दूध मिश्रित जल दिया जाता है । सुखड-दूध मिश्रित जल के कलशे लेकर खडे रहीये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004223
Book TitleAdhar Abhishek ka Suvarna Avasar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
PublisherAkhil Bharatiya Tirthprabhavak Adhar Abhishek Anushthan Samiti
Publication Year
Total Pages48
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy