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________________ ग्रंथभेद - प्रक्रिया कसे समय ब रहने पर उत्कृष्ट से की प्राप्ति Praterk की होती है। ६ आवा अपूर्व कला में विशुद्धि चरमावर्त wwwww करण में शुद्ध यूकि नेप सोनई सं Jan Education International समय तीव्र के उदय 1 ₹५ १४ करप्रवेश याप्रकरण रा संसार के सुख प्रति तीव्र राम द्वितीय स्थिति प्रथम स्थिति चरमोते ही चरमकरण तथा भव परिणति आक के परिणाम के अनुसार नय होने से क्षा संसार के दुःख प्रति द्वेष For Personal & Private Use Only किसी जीव को "उपशमसम्यक् देशविगति-सुधा २.सवित ६ ३-अमन गुण प्राप्त होता है। समयपुरकर की प्राप्ति प्रतहोता है नास्थित पाक • परिपाक दोष टले वत्नी दृष्टि खुले भली प्राप्ति प्रवचनवा यसै त होने से अधिदेश पर आकर पूर्वकरण की विशुद्धि प्रभावसे वापस लौटते है। के अब आयु केनि स्थितिजन पत्र होता है जबप्रवृत्त करण होता अनेक बारसेनीय कर्म की है। कृत्यक www.jalnetbrary arg
SR No.004222
Book TitleChitramay Tattvagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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