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________________ PRODE SH जीव विश्व के सभी पुढल के परमाण पडलपरावताकसकहतहार, आहारक वर्गमा केसिवाय सातो वर्गणा के १४ राजलोक के हरेक आकाशप्रदेशकोव्युत्क्रमसे पो ग्रहण करछोडे तननादर ट्रस्ट युद्धलपरावर्त यदि किसी एक टहरामर्श करे उस जादर क्षेत्र पुजन परावर्त सादिक शाके उपमें ग्रहण करके छोडेतब सम्मटव्य पटल परावर्ताद्वारा स्पर्श करे तो सूक्ष्म क्षेत्रपुद्रा परावत ८ देव मृत्यु SEN नियंच मुत्यु . लिच मृत्यु प्रमा कालचक्र के सभीसाठी को व्यकरण करें तबादरकालपवलपरावर्त यदि स्पिर्श करे तबसूक्ष्म काल पुलपरावते । एकजीव रसना के सर्व अध्यवसायों को मरण के द्वारा व्युत्क्रमसेस्पर्श करें तमामाता भाव पडल परावर्त यदि कम्ममरणद्वारा सार्श करे तबसमभावपुगल पराक्ती । एक की मृत्यु EिE तिरिक्ष निच मृत्यू मनिशीगणरल विजयजी म.सा की प्रेरणा से टीपलाई जवानमलजी तखतगढ़ द्वारानिमित...। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004222
Book TitleChitramay Tattvagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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