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कह रहे है कि जो हमारी तरह नीचे जाता है, उसे ही आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त होती है। (३) मुख के पीछे तेजस्वी भामंडल है, जिससे अरिहंत परमात्मा का मुख कमल हमें अच्छी तरह दिखाई दे रहा है । (४) तीन छत्र सूचित करते हैं कि आपने तीन लोक का साम्राज्य प्राप्त कर लिया है । (५) देव घूटने तक पुष्प की वृष्टि कर रहे हैं, उसके ऊपर (६) अशोक वृक्ष सूचित कर रहा है कि आप शोक रहित है। (७) देव दिव्यध्वनि के द्वारा बंसी के सूर की पूर्ति कर रहे हैं। (८) दुंदुभि बजाकर घोषणा कर रहे हैं कि मुक्ति-पुरी के सार्थवाह आये हैं।
बारह पर्षदा
(9) समवसरण के आग्नेय कोने में सब से आगे गणधर, केवली मुनिराजश्री व अन्य मुनिराजश्री गोदुहिका आसन में बैठकर देशना सुन रहे हैं।
उनके पीछे वैमानिक देवियाँ खड़ी रह कर देशना सुन रही हैं। उनके पीछे साध्वीजियाँ खड़ी रह कर देशना सुन रही हैं। नैऋत्य कोने में सब से आगे भवनपति देवियाँ खड़ी रह कर देशना सुन रही हैं ।
उनके पीछे ज्योतिष्क देवियाँ खड़ी रह कर देशना सुन रही हैं। उनके पीछे व्यन्तर देवियाँ खड़ी रह कर देशना सुन रही हैं। वायव्य कोने में सबसे आगे भवनपति देव बैठ कर देशना सुन रहे हैं।
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(६)
(C)
उनके पीछे ज्योतिष्क देव बैठ कर देशना सुन रहे हैं । (९) उनके पीछे व्यन्तर देव बैठ कर देशना सुन रहे हैं ।
.(१०) ईशान दिशा में सबसे आगे वैमानिक देव बैठ कर देशना सुन
रहे हैं ।
(११) उनके पीछे मानव बैठकर देशना सुन रहे हैं ।
(१२) उनके पीछे मानवियों (मनुष्य की माफिक उनकी स्त्रीयां) बैठकर देशना सुन रही हैं ।
इस प्रकार मानसिक समवसरण का चिन्तन करके पूर्व दिशा के
चित्रमय तत्वज्ञान
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