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________________ १६ जैन दर्शन ने परमाणु कितने सूक्ष्म बताये हैं यहां तक ६ द्रव्यों में से हम जीवादि ५ द्रव्यों का वर्णन कर चूके है । अब हम पुट्लास्तिकाय पुदल का वर्णन कर रहें है । पुट्रल का छोटे से छोटा विभाग परमाणु कहलाता है । आधुनिक वैज्ञानिकों की मान्यता है कि परमाणु की प्रथम शोध डेमीप्रेटस द्वारा ईस्वी सन् से पूर्व ४६० वर्ष में हुई थी । उसके बाद उसमें विशेष संशोधन चलते रहे । अब वैज्ञानिक इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि पानी की १ बून्द में ६ के ऊपर २१ बिंदियाँ लगा दो, इतने परमाणु हैं और यदि उन्हें अंगूर जितने उनको बनाया जाये, तो पृथिवी पर ७५ फीट मोटी परत बन जाये । भगवान महावीर ने २५५० वर्ष व असंख्यात वर्ष पहले बताया है कि वैज्ञानिक के ऐसे अक ओक व्यवहारिक परमाणु में अनन्त परमाणु है । उनके पास लायब्रेरी व लेबोरेट्री नहीं थी, फिर भी अपनी ज्ञान शक्ति से उन्होंने ये सूक्ष्म बाते बताई हैं। वास्तव में परमाणु का अर्थ होता है कि भौतिक पदार्थ का छोटे से छोटा भाग, जिसका किसी भी प्रकार से यानी केवलज्ञान से भी विभाग न हो यानी अविभाज्य अंश । इस प्रकार परमाणु की व्याख्या है । आज के वैज्ञानिकों ने तो उनके द्वारा माने गये अणु (Atom) का भी विभाजन बताया है । जैसे कि हाइड्रोजन के अणु में १ प्रोटोन, १ न्यूट्रोन और उसकी परिधि में चारों ओर घूमता हुआ १ इलेक्ट्रोन है । हिलीयम के १ अणु मे दो प्रोटोन, दो न्यूट्रोन व दो इलेक्ट्रोन बताये हैं । इसी तरह कार्बन अणु मे ६ प्रोटोन, ६ न्यूट्रोन, ६ इलेक्ट्रोन बताये गये हैं। इसलिये रिडर डायजेस्ट में कहा है कि An atom of any substance is the smallest piece which is characterstic of that substance and of nothing else. But all atoms, are put together from the same smaller fundamental parts of these three are most important, they are protons (electrically | चित्रमय तत्वज्ञान ७२ Jan Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004222
Book TitleChitramay Tattvagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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