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________________ मेवाड़ के जैन तीर्थ भाग 2 श्री सुविधिनाथ भगवान का मंदिर, अणुनगरी रावतभाटा ___ यह शिखारबंद नूतन मंदिर निर्माणाधीन है। चित्तौड़गढ़ से 125 किलोमीटर दूर है। पूर्व में शहर के बाजारनं.2 में स्थापित यति जी का 50 वर्ष प्राचीन मंदिर में स्थापित आदिनाथ भगवान की प्रतिमा भी अणुनगर लाई गई। यह खरतरगच्छीय | मंदिर है। मंदिर में निम्न प्रतिमाएँ स्थापित है: 1. श्री सुविधिनाथ भगवान की (मूलनायक) श्वेत पाषाण की 23" ऊँची प्रतिमा है। 2. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के दाएं) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है। 3. श्री पार्श्वनाथ भगवान की (मूलनायक के बाएं) श्वेत पाषाण की 19" ऊँची प्रतिमा है। इन तीनों प्रतिमाओं पर वि.सं. 2059 फाल्गुण सुदि 7 का लेख है। नीचे की वेदी पर श्री आदिनाथ भगवान की श्याम पाषाण की 7" ऊँची प्रतिमा है। कोई लेख नहीं है। उत्थापित चल प्रतिमाएँ व यंत्र धातु की: 1. श्री जिनेश्वर भगवान की 7' ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर कोई लेख नहीं है। ___ श्री सुमतिनाथ भगवान की 7" ऊँची पंचतीर्थी प्रतिमा है। इस पर संवत् 1529 आषाढ सुदि 2 का लेख है। Jarducation International For Persone ale Use Only www.jainelibrary.org For per ( 69 Yale Use Only
SR No.004220
Book TitleMewar ke Jain Tirth Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Bolya
PublisherAthwa Lines Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size41 MB
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